Saturday, May 12, 2012

माँ तो माँ होती है....

दुनिया में सबसे निस्वार्थ रिश्ता 'माँ'... 'माँ' सिर्फ एक संबोधन नही है... इस इस शब्द के पीछे छिपी एक पूरी दुनिया, एक गजब का एहसास, एक महान इंसान, संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, समता और ममता, की मूरत... 'माँ', एक दृढ विश्वास, बच्चों का अभेद कवच, अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरने की चाहत रखने वाली स्त्री 'माँ'...अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपनों की बलि चढाने वाली 'माँ'...खुद जलती धूप सहती लेकिन अपने बच्चे के सर पर अपना आचल रख देती 'माँ'... खाना कम पड़ने पर भले ही खुद न खाए लेकिन बच्चों को पहले खाना खिलाती 'माँ', अपने बच्चों की बड़ी से बड़ी गलतियों पर उन्हें माफ़ कर देने वाली माँ और एक ऐसी शख्शियत जो अगर न हो तो सम्पूर्ण मानव जाति का अस्तित्व ही न हो...

किसी भी इंसान की ज़िंदगी को ज़िंदगी बनाने में माँ का अहम योगदान होता है... हमारा पहला कदम, हमारे मुहं से निकला पहला शब्द या हमारी ज़िंदगी का हर पहला काम सब माँ माँ की बदौलत है...ज़िंदगी में हमारी सबसे अच्छी टीचर माँ... जो हमे कभी निराश नही होने देती... हमारे हर फैसले में साथ खड़ी रहती है...हमारे लिए दुनिया से लडती माँ...कई जन्म लेकर भी हममे से कोई माँ का कर्ज नही उतार सकता... आप ज़िंदगी में कुछ भी कर लीजिये, कितने बड़े आदमी बन जाइये लेकिन माँ के आचल की छाव के बैगेर सब अधूरा है... छोटी सी चोट लगने पर भी हमे सबसे पहले माँ ही ही याद आती है...जब भी दुःख से घिर जातें है तो माँ याद आती है... जब भी भूखे रह जाते हैं तो माँ याद आती है... एक अलौकिक सुख की अनुभूति है 'माँ'...सच में अगर पृथ्वी पर ईश्वर मौजूद है तो वो माँ ही है... कोई भी कितनी भी कोशिश करले परन्तु 'माँ' को शब्दों में नही बांध सकता...

कल मदर्स डे है... 'माँ' के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिन...वैसे तो इस दिन की ड्राइविंग सीट पर भी बाज़ार ही बैठा है...इस दिन गिफ्ट शॉप वालों के असली मज़े आ जाते है...सब मंहगे से महंगा गिफ्ट खरीदने की होड़ में रहते हैं...हम भी उस एक दिन माँ को थेंक्यू बोलते हैं और गिफ्ट देते है, उस दिन उनको खुश रखते हैं...इमोशनल भी हो जाते है और समझते है की बन गया मदर्स डे...लेकिन ईमानदारी से अपने से पूछियेगा की बाकी के 364 दिन हम अपनी माँ के लिए क्या करते हैं??? क्या बाकी दिन उन्हें खुश रखने के लिए कुछ स्पेशल करतें हैं?? वैसे तो अगर हम रोज भी मदर्स डे मनाये तो भी हम 'माँ' का कर्ज अदा नहीं कर सकते...वैसे भी माँ को आपके महंगे गिफ्ट नही चाहिए...वो तो आपकी ख़ुशी देखकर भी खुश हो जाती है...लेकिन अगर आप कुछ करना भी चाहतें है तो बस इतना कीजिये की 'माँ' को वो सम्मान, वो ख़ुशी दीजिये जिसकी वो हकदार है...इतना ही काफी है... कई लोग खास तौर पर नौजवान माँ को ख़ुशी देना तो दूर उनसे सही ढंग से बात तक नहीं करते...आजकल के बच्चों के पास तो अपनी माँ से बात करने का टाइम भी नहीं है...लेकिन उनके पास शोशल साईटों पर वर्चुअल दोस्तों से बात करने का खूब टाइम है...जब भी माँ कुछ कहती है तो आजकल के बच्चे बोलते है- 'अब मैं बच्चा नही रहा जो हर चीज़ बताती रहती हो तो'...लेकिन माँ के हृदय का प्यार आपके प्रति उसकी चिंता को हम नही देख पाते...सच में अगर आपको माँ के प्रति कृतज्ञता जतानी है या उन्हें दिल से थेंक्यू बोलना है तो माँ से रोज कुछ देर तक अच्छे से बात करिए, अपनी वयस्त ज़िंदगी में से उनके लिए कुछ समय माँ के लिए भी निकालें तो उन्हें भी अच्छा लगेगा...ओर माँ के लिए हर दिन मदर्स डे होगा...वैसे कुछ न भी करें तो वो आपको देखकर भी खुश हो जाएगी...क्यूकी माँ तो माँ होती है...

हिमांशु डबराल

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