होने को तो ये भी हो सकता है की अमेरिका हम पर दबाब बनाये की हम ईरान से हवा आयत न करें क्युकी ईरान हवा बम भी बना रहा है...अब सोच ही रहे है तो कुछ आगे भी सोच लेते है...शायद अमीरों के क्षेत्र के लिए अमेरिका से हवा आयात की जाये...गरीबों के लिए तो यूपी बिहार से हवा मंगवाई ही जाएगी...हो सकता है फिर कुछ आँख मारने वाले बाबा सरीखे लोग जड़ीबूटियों की तरह हिमालय के पास की हवा का व्यापार शुरू कर दें...तब शायद पार्टियों के चुनावी एजेंडे में हवा के दाम कम करने का वादा भी हो...शायद कोई पार्टी हवा के नाम पर आम चुनाव जीत जाये... 'जिसकी हवा होगी वही जीतेगा'...अगर ऐसा होता है तो तब शायद इस देश में धर्म-जाति के नाम पर राजनीती बंद....अरे रे...बंद तो हो ही नही सकती लेकिन शायद कम ज़रूर हो जाये...लेकिन राज ठाकरे का क्या करेंगे तब शायद वो यूपी बिहार से आने वाली हवाओं पर महाराष्ट्र में रोक लगाने कि मांग करने लगे...हो सकता है जब हवा कि इतनी मांग बढ़ जाये तो तेलंगाना कि तर्ज पर कहीं हवा प्रदेश कि मांग ना हो...एक बात तो भूल ही रहा हूँ कहीं पकिस्तान से आने वाली आतंकी हवाओं से निपटने के नाम पर सरकार पैसा हवा में उड़ा दे और फिर देश में हवा घोटाला सामने आये...
जब पैसे नही लग रहे है तो ओर सोच लेते है...हो सकता है अगले राष्ट्रमंडल खेलों में हवा सप्लाई का जिम्मा कलमाड़ी को दे दिया जाये, और राजा भी दुबारा स्पेक्ट्रम कि नीलामी की मांग करें वो भी हवा टेक्स लगाने के बाद और फिर उन्हें जेल कि हवा खाने को मिले.... लेकिन जो भी होगा आम आदमी तो भी पिसेगा...क्यूकी उसकी किस्मत में ये ही लिखा है...वो हल्ला मचा सकता है, रो सकता है...लेकिन कुछ कर नही सकता बस कर दे सकता है...अब टैक्स की इतनी बातें करने के बाद कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी कहीं ऐसा भी न हो की-
सुना है चाह पर भी टैक्स लगने वाला है, आह पर भी टैक्स लगने वाला है;
या खुदा!! हसीनों को देखें कैसे? सुना है निगाह पर भी टैक्स लगने वाला है!
-हिमांशु डबराल