Monday, July 26, 2010

‘सपने’

आजकल पुरानी यादों को ताज़ा कर रहा हुं...पुराने पन्नो को पलटता हुं तो कुछ न कुछ ऐसा मिल जाता है जो दिल से जुड़ा होता है...जब सपने बहुत आते थे, उस समय एक कविता लिखी थी....

सब कुछ हो पास अपने, यही सपना है,
सबके हो खास बस, यही सपना है...
कौन कहता है सपने पूरे नहीं होते ?
उॅंची हो उड़ान तो हर मुश्किल आसान,
फिर हकीकत जो है वही सपना है....

छोड़़ गया वो साथ जिसको माना अपना,
जिसको माना पराया वही अपना है...

ये सपने भी सच होते हैं,
कभी हम हॅंसते हैं, कभी रोते हैं।
फड़फड़ा कर अपने पंख हम भी उड़ना चाहते हैं,
म्ंजिल की ओर दूर कहीं सितारों में,
हम भी खोना चाहते हैं
उन खूबसूरत वादियों में, उन महकती फिजाओं में,
उन हवाओं में, उन घटाओं में,
हम भी कहीं खड़े रहें,
बस यही सपना है...

कुछ कर दिखाना है,
हम भी हैं कुछ, ये बताना है,
जो करते थे हमसे दोस्ती के नाटक,
नाटक के परदे को गिराना है,
पता लगाना है कौन अपना, कौन बेगाना है...
बस यही सपना है...
जि़न्दगी कि दौड़ में हमसफर है न कोई।
ये तो लंगड़े घोड़े हैं जो दौड़ रहे हैं,
कुछ दूर जाकर गिरेंगे, ये दिखाना है
बस यही सपना है...

हिमांशु डबराल

6 comments:

  1. छोड़ गया वो साथ जिसको माना अपना,
    जिसको माना पराया वही अपना है...

    जो करते थे हमसे दोस्ती के नाटक,
    नाटक के परदे को गिराना है,
    पता लगाना है कौन अपना, कौन बेगाना है...
    बस यही सपना है....
    सपना हकीकत हो जाए तो क्या बात ...!

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  2. कुछ कर दिखाना है,
    हम भी हैं कुछ, ये बताना है,
    जो करते थे हमसे दोस्ती के नाटक,
    नाटक के परदे को गिराना है,
    पता लगाना है कौन अपना, कौन बेगाना है...
    बस यही सपना है...
    जि़न्दगी कि दौड़ में हमसफर है न कोई।
    ये तो लंगड़े घोड़े हैं जो दौड़ रहे हैं,
    कुछ दूर जाकर गिरेंगे, ये दिखाना है
    बस यही सपना है...

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  3. kya baat hain dabral sahab...

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  4. wha wha kya baat hai sir......... aapne to logo ke dilo ki baat khi hai jo dil main to hota hai lakin juban pr kbhi nhi aata.........

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  5. आपके साथ फिर से इक तराना गुनगुनाना है ...
    बस यही एक सपना है ...

    बहुत सुंदर रचना ...

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  6. बिल्कुल एक नही कई तराने गुनगुनायेंगे...

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