दिल का हंसी एहसास हो तुम
शायद मेरे पास हो तुम...
तन्हाईयों में अक्सर तुम्हे ढूँढता हूँ
हजारों में भी तुम्हें ढूँढता हूँ...
अँधेरों में, उजालों में, ज़िंदगी के ख़्यालों में
मेरे आफ़ताब हो तुम...
शायद मेरे पास हो तुम...
जब भी आँखें भर आती हैं
हर पल मुझे सताती हैं
कभी छलक भी जाती हैं...
आँखों के सैलाब में ही सही, मेरे साथ हो तुम
शायद मेरे पास हो तुम...
तुम दूर जितना जाते रहे, उतना ही करीब आते रहे
दिल के किसी कोने में, जख़्म बन मुस्कुराते रहे...
जख़्मों की ही सही, एक सौगात होती है
शायद मेरे पास हो तुम...
ख़्वाबों में ज़िंदगी हो, ज़िंदगी में ख़्वाब हो तुम
राहों में मंज़िल हो, और मंज़िल में राह हो तुम
राह-ए-मंज़िल में, ठोकर बनकर ही सही
हाँ...मेरे साथ हो तुम...
-हिमांशु डबराल
kya baat hai dabral sahab...
ReplyDeleteबहुत अच्छे हिमांशु..
ReplyDeleteMere Sath ho tum mujhe bahut pasand aaya. dhanyabd. mai bhi ek blog www. maibolunga.blogspot.com likhne ka koshish kar rahahu jarur visit kijiye aur aapna bahumulya commend dijiye
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