Friday, April 9, 2010

नम होगा...

अश्को के सागर में, अश्को को बहाकर क्या होगा,

बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...

-हिमांशु डबराल

6 comments:

  1. "कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा..."

    waah! kya soch hai aapki!
    kaabil-e-taarif!

    kunwar ji,

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  2. Bahut garhai baat..
    बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...

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  3. kya khub kaha hai bhai apne....wha...

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  4. तस्नागी रेत की है जाँविदा
    तेरे तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क

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  5. sorry
    तस्नागी रेत की है जाँविदा
    तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क

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