तुझमे सुनने की तासीर नहीं तो कान बंद रख हमे तो बेबाक बोलने की आदत है ....!!!
अश्को के सागर में, अश्को को बहाकर क्या होगा,
बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...
-हिमांशु डबराल
"कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा..."waah! kya soch hai aapki!kaabil-e-taarif!kunwar ji,
Bahut garhai baat..बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...
kya khub kaha hai bhai apne....wha...
तस्नागी रेत की है जाँविदा तेरे तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क
sorry तस्नागी रेत की है जाँविदा तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क
kya Baat hai...
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"कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा..."
ReplyDeletewaah! kya soch hai aapki!
kaabil-e-taarif!
kunwar ji,
Bahut garhai baat..
ReplyDeleteबहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...
kya khub kaha hai bhai apne....wha...
ReplyDeleteतस्नागी रेत की है जाँविदा
ReplyDeleteतेरे तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क
sorry
ReplyDeleteतस्नागी रेत की है जाँविदा
तेरी ज़ात में निहाँ सराब से छलके हैं ये अश्क
kya Baat hai...
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