Friday, March 5, 2010

सिक्के का दूसरा पहलू.....

आज मैने एक ब्लॉग पर एक कहानी पढ़ी...वो लड़का( यहाँ पढ़ें- http://imnindian-bakbak.blogspot.com/2009/11/blog-post_30.html).उस कहानी को पढने के बाद मुझे एक लड़की की कहानी याद आ गयी..जो लिखी है...शायद इसके बाद कुछ लोग इसे पुरुषवादी मानसिकता से लिखा हुआ बताये...लेकिन मै तों बस सिक्के का दूसरा पहलू दिखाना चाहता हूँ....शायद आईना...शायद सच...
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वो लड़की...
एक लड़की थी...जिसकी शादी तय हुई...उस लड़की के लिए शादी सिर्फ एक बंधन थी...पर घर वालों की मर्ज़ी के आगे वो कुछ नहीं कर पाई...मज़बूरी में उसे शादी के लिए हाँ करना पड़ा...उसका होने वाला पति उसको बहुत प्यार करता था...वो उसके लिए बहुत गिफ्ट ले कर आता था...
उसे हमेशा खुश रखना चाहता था... लेकिन वो उस लड़के के साथ बाहर घुमने जाने में आनाकानी करती थी...उसे डर था की उसके कोई पुराने बॉयफ्रेंड्स न मिल जाये...अगर मिल गये तो उसका कच्चा-चिठ्ठा खुल जायेगा...
उसे आपने कमरे में भी नही आने देती थी...क्यूकी उस कमरे में उसके पुराने बॉयफ्रेंड्स के गिफ्ट्स रखे थे...
उसने इससे पहले कई लडको को धोका दिया था...
और शायद इस लड़के को भी धोका देना चाहती थी...वो ये भी नही जानती थी की उसने कितनी बार खुद को धोखा दिया है...पैसे की चाह ने उसे अन्धा कर दिया था...
उसके लिए रिश्तों का मतलब सिर्फ पैसा और ऐश था...मौज मस्ती का एक जरिया इससे ज्यादा कुछ नही...
उसके लिए बॉयफ्रेंड सिर्फ कार की तरह थे जिसे बोर हो जाने पर बदल दिया जाता है...घर में खड़ा करके नही रखा जाता...और रखा भी जाता है तो भी उसे उपयोग नही किया जाता...घुमा तो नयी गाड़ी में जाता है...
ऐसे में क्या कहा जाये...
किन्तु अब बात पूरी लगती है... "वो लड़का और वो लड़की''...लेकिन सिक्के का तीसरा पहलू भी है...सोचते रहिये...पर्दा जल्द उठेगा

हिमांशु डबराल
himanshu dabral

1 comment:

  1. shi hai janab...kahani to puri ho gayi...lekin parda rh gaya...

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