
जब भी हम मुस्कुराएंगे, यू ही गुनगुनायेंगे
सपनो को सजायेंगे, कागज की नाव बनायेंगे
अँधेरे से घबराएँगे, पर पास तुम्हे न पाएंगे
तो बहुत याद आओगे तुम...
जब भी सोचेंगे पुरानी हर बात
तुम्हारा वो हंसी साथ,
जगमगाती वो चांदनी रात
उसमे होती वो बरसात,
भीगे तन और भीगे मान की वो सौगात
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
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जब भी ढूढेंगे वो मस्ती,
पढने में वो सुस्ती
जब ख़ुशी होती थी बड़ी सस्ती,
सबकी होती कुछ अपनी कुछ हस्ती
जगमगाती थी हर बस्ती,
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
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जब भी ढूढेंगे यारों का साथ
मदद को बढ़ता वो हाथ,
सबके लिए प्यार, बच्चों का दुलार
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
वो हंसी वादियाँ,
वो कोहरे की चादर
ठण्ड की कपकपाहट, बादलों का वो जहाँ
और उसमे चाय की वो चुस्की
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
जब भी होंगे हम तन्हा
साथ न देगा कोई लम्हा,
जब भी बैठेंगे हम तनहाइयों में
दिल की रुसवाइयों में
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
तुम्हारी वो अदा, वो मुस्कराहट, वो आहट
वो सादगी, वो खुशबु, जो महका गयी
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
वो टूटते तारे को देखकर मन्नते मांगना
बारिश के पानी में कूदना
वो छीटें, वो पत्तें, वो पेड़, वो चिड़िया
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
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वो तुम्हारी कहानी, तुम्हारा वों बोलना
मन की बातों को दिल से खोलना
जब भी ढूढुगा वो सावन
अनमना सा वो मन
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद...
जब भी लिखेंगे कुछ, जब भी पढेंगे कुछ
जब भी कहेंगे कुछ, जब भी सुनेगे कुछ
हर लफ्ज में जगमगाओगे तुम
जब भी सोचेंगे तो बहुत याद आओगे तुम...
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-हिमांशु डबराल
himanshu dabral
bahut khub janab....
ReplyDeleteu r growing up my dear child....
ReplyDeleteAapki is phool si kavita mein patharo ko pighlane ki taakat hai himanshu sir..MOHIT{iaan}
ReplyDeleteKya baat hai...
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