Saturday, November 28, 2009

चुभन

चुभन दिल में बड़ी आजीब सी होती हैं,
इसकी ख़ुशी भी हमे अजीज सी होती है।
चुभन दिल में...
हम क्या करे हमे प्यार है उनसे,
और वो कहते है हमसे,
की ऐसी किस्मत बड़े नसीब से होती है...
चुभन दिल में...
मन की पतंगे,
ख्वाबो के आसमा में, खो जाती है...
जैसे नीले आसमा की गोद में वो सो जाती है,
फिर भी वो हमारे लिए सजीव सी होती है...
चुभन दिल में...
.
-हिमांशु डबराल

Friday, November 6, 2009

पत्रकारिता जगत के सूर्य थे जोशी जी...

पत्रकारिता को एक अलग पहचान देने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी हमारे बीच नही रहे... ये क्षति पूरे पत्रकारिता जगत की है... अपनी लेखनी से पत्रकारिता का लोहा मनवाने वाले जोशी जी बहुत ही सरल शब्दों में अपनी बात कह जाते थे... मैं खुद उनकी लेखनी के दीवानों में से एक हूँ...
जोशी जी के पदचिन्हों पर चलने वाले कई पत्रकारों के लिए ये बड़ा झटका है... लेकिन वो एक ऐसी राह बना कर गए है, जो पत्रकारिता को एक नयी दिशा देगी... उनके आदर्शो पर चलने वाले पत्रकार हमेशा उनके विचारों को जीवित रखेंगे...
बस दिल यही कहता है -
कौन कहेता है जोशी जी नही रहे,
रूह रुख़सत हुई है, शख्शियत हमेशा जवां रहेगी...

भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके परिवार को इस घोर दुःख को सहने का बल प्रदान करे...


- हिमांशु डबराल

Wednesday, November 4, 2009

रास्ते-रास्ते.


रास्ते-रास्ते, रास्ते सिर्फ रास्ते...
वास्ते-वास्ते जाने किस वास्ते,
जागते-सोते, सोते-जागते
रास्ते-रास्ते, रास्ते सिर्फ रास्ते...

रात के सूने प्रहर में,
सन्नाटे को खत्म करते
सहर की और चलते
उजाले में हसी वादियों में,
ठण्ड की कपकपाहट, सर्द समां में,
ओस की बूंद, हवा के बहाव में,
रह गए हम, वादियों को ताकते
रास्ते-रास्ते, रास्ते सिर्फ रास्ते...

सर्द मौसम में, गर्म ख्यालों में,
चाय के प्यालों में, लाल से गलों में,
कपकपाते होठों की मुस्कान के साथ,
सफ्फाक दिलों को बहलाने के वास्ते,
रास्ते-रास्ते, रास्ते सिर्फ रास्ते...

मील के पत्थर गिनते हुए,
राह के काटें चुनते हुए,
ख्वाब में ख्वाब बुनते हुए,
हवाओं के सुर सुनते हुए,
एक धुन बनाने के वास्ते...
रास्ते-रास्ते, रास्ते सिर्फ रास्ते...

-हिमांशु डबराल