Thursday, September 24, 2009

बदलते रिश्ते

रिश्ते ये रिश्ते कितने अजीब ये रिश्ते ...
कभी बनते, कभी बिगड़ते ये रिश्ते
तों कभी शांत रहते ये रिश्ते
अलग-अलग चहरे में सामने आते
कभी माँ की, कभी पिता की याद दिलाते
तो कभी बहन बनकर, कभी भाई बनकर सामने आते ये रिश्ते
दोस्त बनकर हमे हसाते और कभी रूलाते ये रिश्ते...

कुछ रिश्ते बड़े अजीब होते है
हँसते-हँसते हम कभी रोते हैं,
शायद वो रिश्ते हमे बड़े अजीज होते हैं...

क्या कहूँ उस रिश्ते को, जो कभी सब रिश्तों से बड़ा हो जाता है,
कभी-कभी तों सब रिश्तों के सामने दिवार बन खड़ा हो जाता है,
है हम सोचते है किसे पाए किसे खो जाए...
फिर सोचता है मैं
कितने बदल जाते है ये रिश्ते
कभी दूर तो कभी पास आते है ये रिश्ते,
कभी रिश्तों को ही भुलवाते है ये रिश्ते,
कभी आपस में उलझ जाते है ये रिश्ते,
तभी शायद कुछ अजीब है ये रिश्ते...
रिश्ते ये रिश्ते, कितने आजीब ये रिश्ते...



-हिमांशु डबराल

1 comment:

  1. कुछ रिश्ते बड़े अजीब होते है
    हँसते-हँसते हम कभी रोते हैं,
    शायद वो रिश्ते हमे बड़े अजीज होते हैं...

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति
    सुंदर रचना
    जय हो ...

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