वो बचपन कितना अच्छा था,
जब हम उछला-कूदा करते थे...
वो बचपन कितना अच्छा था,
जब हम बिन बात ही हंसा करते थे...
अम्बर की छत के नीचे,
पकड़म-पकड़ा करते थे...
वो बचपन कितना अच्छा था...
एक दूजे से प्यार गजब,
अपनेपन का एहसास गजब,
खुशबु के आगन में हम सब,
जब तितली पकड़ा करते थे...
वो बचपन कितना अच्छा था...
-हिमांशु डबराल
Bahut sunder kavita hai. Sachmuch aap hamein hamare bachpan main le gaye
ReplyDeleteBaldev Singh Mehrok