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मंजिल दिखती है मगर मिलती नही,
मिलती तब है जब दिखना बंद हो जाये .
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किसी के दिल में किसी के ख्वाबो को जब पनाह मिलती है,
तभी एक आशिक को उसके इश्क की सदा मिलती है .
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जब से हम तुमसे मिले, ये नज़र झुकती नही,
देखती है बस तुम्हे, अब तो ये थकती नही .
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मुझको अपना कहने वाले, अपनी आखों को आईने में देख,
खुद से नज़रे मिला सको तो ठीक, नही तो नज़र आएगा फरेब
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महोब्बत के रंग में यू रंग न जाना,
कि अपना रंग ही नज़र न आये,
कोई तुम्हे ढूढ़ते हुए आये और, पहचान भी न पाए .
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-हिमांशु डबराल
himanshu dabral
Monday, December 21, 2009
Thursday, December 10, 2009
26/11 को मत भूलों
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इस समय सेना प्रमुख के बयान ने आंतकवाद के खिलाफ सरकार के रवैये को लेकर हकीकत जाहिर की। सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने कहा कि ”अमेरिका में 9/11 के बाद कुछ नहीं होता है। इंडोनेशिया में भी बाली में विस्फोट के बाद कुछ नहीं होता है। लेकिन हमारे यहां संसद के हमले के बाद 26/11 होता है, बस अब और नहीं।” हलांकि उनका ये बयान मुंबई हमले की बरसी के समय में आया। सेना प्रमुख का ये बयान भारतीय सेना के हौसले को दर्शाता है लेकिन एक सवाल भी खड़ा करता है कि अब तक आंतकवाद के खिलाफ हमारी सरकार ने कड़ा रवैया क्यों नही अपनाया? क्या 26/11 जैसे हमले का इंतजार हो रहा था?
संसद में हमले के बाद भी कोई कड़े कदम नहीं उठाये गये। जिसका खामियाजा 26/11 के रूप में देखने को मिला।
आज भी आतंकियों के हौसले बुलंद हैं। 26/11 की बरसी के मौके पर सरकार को सबक लेने की आवश्यकता है और आतंकवाद के खिलाफ कड़े रवैये को अपनाने की जरूरत है तभी देश आतंकवाद से मुक्त हो पायेगा।
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- हिमांशु डबराल
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