अच्छा लगा की आप मेरे लिए आये, लाठियां भी खायी, नारे भी लगाये...लेकिन मैं चाहती हूँ की आप मेरे जैसी हर दामनी के लिए ऐसे ही आगे आयें और उसे इंसाफ दिलाएं। वैसे तो उन लोगों को ख़त्म करके कुछ नही होने वाला...खत्म करना तो उस मानसिकता को खत्म करिए जो उनलोगों को ऐसा करने से लिए उकसाती हैं। तभी शायद मुझे और न जाने मेरी जैसी कितनी दामनीयों को सुकून मिलेगा।
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती,
जिस्म मिट जाने से इंसान नही मरते,
धड़कने रुकने से अरमान नही मरते,
सांस थम जाने से ऐलान नहीं मरते,
और.... होठ जम जाने से फरमान नही मरते।।