Saturday, January 22, 2011

समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...

अपनी दमन और मुंबई यात्रा के दौरान समंदर में नाव में बैठा मैं कुछ सोच रहा था, उसी सोच ने इन पंक्तियों को जन्म दिया-


नीचे पानी का मंज़र है, ऊपर अम्बर है,

समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...


कहीं प्यार के सदहज़ार फूल खिलें हैं हर तरफ,

कहीं दिल की ज़मी सदियों से बंज़र है....

समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...


कहीं कोई आशिक जां गवा बैठता है महोब्बत में,

कही महबूब के हाथों में ही खंज़र है...

समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...

-हिमांशु डबराल

himanshu dabral

Wednesday, January 5, 2011

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...

आप सभी को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...ये नया साल आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय रहे...



हिमांशु डबराल
himanshu dabral