नीचे पानी का मंज़र है, ऊपर अम्बर है,
समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...
कहीं प्यार के सदहज़ार फूल खिलें हैं हर तरफ,
कहीं दिल की ज़मी सदियों से बंज़र है....
समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...
कहीं कोई आशिक जां गवा बैठता है महोब्बत में,
कही महबूब के हाथों में ही खंज़र है...
समंदर है, समंदर है...चारों ओर समंदर है...
-हिमांशु डबराल
himanshu dabral