Thursday, September 30, 2010
स्वछंद करो...
यूँ नफरत की बारूद न बिखराओ साथी,
ये धर्म युद्ध का जहरीला नारा बंद करो...
जो प्यार तिजोरी सफों में बंद पड़ा है,
आओ उसके बंधन खोलो उसे स्वछंद करो...
-हिमांशु डबराल
Friday, September 3, 2010
सच, सच ही रहेगा...
आज एनडीटीवी इंडिया की एक खास रिपोर्ट देखी....सच में खास थी...कांग्रेस की जो चापलूसी की गयी वो देखने लायक थी....लोगो हटा दो तो कांग्रेस का चैनल लग रहा था...एनडीटीवी से ये उम्मीद नही थी...पूरी रिपोर्ट एक तरफ़ा...ये मीडिया न जाने कहा जा रहा है...लोगो को गलत ख़बरें देता है...कई बार सब बिका सा लगता है....अब इसके बाद कई लोग मुझ पर भगवा या लाल रंग लगा सकते है...लेकिन सच, सच ही रहेगा...
-हिमांशु डबराल
Wednesday, September 1, 2010
आग लगाने का मन करता है....
मीडिया की पढाई वाली दुकानों की भरमार हो गयी है...ऐसे में पत्रकार बनने के लिए सिर्फ जेबे गरम होनी चाहिए...लेकिन इस क्षेत्र में आने वाले नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है...न शिक्षा का स्तर और न कुछ प्रेटिकल जानकारी...वहा तो सिर्फ पैसा बटोरने का काम होता है... इन दुकानों में इन्हें रंगीन सपने दिखाए जाते है और कोर्स पूरा होने पर सपनो की ये रंगीन दुनिया काली हो जाती है...पत्रकार बनना इतना आसन हो गया है की आजकल राह पे चलता हर चौथा आदमी अपने को पत्रकार बताता है...सब इन दुकानों के कारणहो रहा है... ऐसी दुकानों को चलाने वालो की दुकानों में आग लगाने का मन करता है....
-हिमांशु डबराल